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मुख्यमंत्री - उपमुख्यमंत्री एक साथ। |
रायपुर। छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव अब छत्तीसगढ़ के नए उप-मुख्यमंत्री बनाए जाने की घोषणा की गई है। आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ में साल 2019 से जब से कांग्रेस की सरकार बनी थी तब से मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव के बीच काफी मतभेद देखने मिले थे। और आज दिल्ली में कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के बीच भी इस मुद्दे पर कई घंटे तक चर्चा चली। इस बार टीएस सिंहदेव को छत्तीसगढ़ का उप मुख्यमंत्री बना दिया गया है।
छत्तीसगढ़ का उप मुख्यमंत्री बनने के बाद टीएस बाबा को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ट्वीट कर बधाई दी है। उन्होंने कहा है कि- हैं तैयार हम. महाराज साहब को उपमुख्यमंत्री के रूप में दायित्व के लिए बधाई एवं शुभकानाएं।
सरगुजा से निकलकर प्रदेश की सेवा का अवसर मिला.... टीएस सिंहदेव ने बताया कि, आलाकमान ने जो जिम्मेदारी दी है, उसे ईमानदारी से निभाऊंगा। सरगुजा से निकलकर छत्तीसगढ़ की सेवा करने का अवसर मिला है। यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है। सबको साथ लेकर, बेहतर तालमेल के साथ पूरी मजबूती से काम करेंगे। पार्टी से जो भी जवाबदारी मिलेगी उसे निभाते रहेंगे।
पिछले साल छोड़ा था पंचायत मंत्रालय
टीएस सिंहदेव छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री बनना चाहते थे। ऐसा दावा किया जाता है कि सरकार गठन के वक्त ये तय हुआ था कि पहले ढाई साल बघेल और फिर ढाई साल सिंहदेव सीएम होंगे। लेकिन, ऐसा हुआ नहीं।
इससे नाराज सिंह देव ने 16 अगस्त 2022 को पंचायत एवं ग्रामीण मंत्रालय छोड़ दिया था। उन्होंने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को चार पन्नों का लंबा पत्र लिखकर मंत्रालय छोड़ा था।
मंत्रालय छोड़ने का कारण उन्होंने इसका प्रदेश के आवासविहीन लोगों को आवास नहीं मिलना और जनघोषणा पत्र में किए गए वादों का पूरा नहीं होना बताया था। हालांकि, वे स्वास्थ्य और वाणिज्यिकर मंत्री बने रहे।
टीएस सिंहदेव कांग्रेस सरकार के आधार स्तंभों में से एक हैं। 17 दिसम्बर 2018 को उन्होंने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के साथ मंत्री पद की शपथ ली थी।
उस दौरान मुख्यमंत्री ने केवल दो मंत्री सिंहदेव और ताम्रध्वज साहू के साथ कैबिनेट का गठन करके सरकार की औपचारिक शुरुआत की थी।
पहले जानते हैं 2018 में कांग्रेस की जीत के बाद क्या हुआ...
पिछले विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद जब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने पर्यवेक्षक बनकर राज्य का दौरा किया तो विधायकों में सबसे ज्यादा समर्थन टीएस सिंह देव को मिला था। बताया जाता है कि 67 विधायकों में से 44 विधायकों ने टीएस सिंहदेव का समर्थन किया।
इसके बाद राहुल गांधी ने मुख्यमंत्री पद के चार संभावित उम्मीदवारों- टीएस सिंहदेव, ताम्रध्वज साहू, भूपेश बघेल और चरण दास महंत से अपने आवास पर मुलाकात की। आलाकमान ने भूपेश बघेल का नाम तय किया ।
नाराज खेमे को भी खुश करने के लिए तभी से यह चर्चा जोरों पर थी कि ढाई साल बाद सिंहदेव को मौका दिया जाएगा, मगर अब तक ये सिर्फ चर्चा ही थी।
कई बार इस बात को लेकर काफी चर्चा हो चुकी थी। खुद सिंहदेव आलाकमान के साथ बैठक कर चुके थे। बड़ी संख्या में कांग्रेस विधायक दिल्ली पहुंच गए थे। माना जा रहा था कि बैठक के बाद कुछ बड़ा फैसला हो सकता है। लेकिन हुआ कुछ नहीं था। भूपेश बघेल ही मुख्यमंत्री बने रहे।
अब जानिए कौन हैं सिंहदेव
सिंहदेव का जन्म 31 अक्टूबर 1952 को इलाहाबाद में सरगुजा के शाही परिवार में हुआ था।
• पिता एमएस सिंहदेव, एक आईएएस अधिकारी, तत्कालीन मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव के रूप में सेवानिवृत्त हुए थे।
• मां देवेन्द्र कुमारी मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री रह चुकी हैं।
हाईस्कूल की पढ़ाई सिंधिया स्कूल, ग्वालियर से की।
दिल्ली के हिंदू कॉलेज से इतिहास में स्नातक की उपाधि ली।
भोपाल के हमीदिया कॉलेज से पोस्ट ग्रेजुएशन किया।
सिंहदेव का राजनीतिक करियर
सिंहदेव का राजनीतिक करियर अंबिकापुर नगर परिषद से शुरू हुआ, वे 1983-88 और 1995-99 में यहां के अध्यक्ष रहे।
• 2008 में सरगुजा से विधायक चुने गए, फिर 2013 और 2018 में भी जीतकर विधायक बने।
• 2013 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस विधायक दल के नेता बने थे।
• 2018 में स्वास्थ्य, वाणिज्यकर और पंचायत एवं ग्रामीण मंत्री बने।