अपने अस्तित्व को निहारता गेवरा रेलवे स्टेशन अब सपना बन कर रह गया
कोरबा :- कोरबा जिले के अंतिम एवम प्रारम्भ कहे जाने वाले गेवरा रेलवे स्टेशन अब अपने अस्तित्व को निहारने को मजबूर हो गया है । लोगो के लिए गेवरा रेलवे स्टेशन से चलने वाली यात्री गाड़ी केवल सपना बनकर रह गया है । आखिर इस बहुप्रतीक्षित स्टेशन से यात्री गाड़ियों का परिचालन क्यो बंद है किसी की समझ मे नही आ रहा है।
बता दे कि गेवरा रेलवे स्टेशन से बहुत साल पहले दो यात्री गाड़ियों का परिचालन किया जाता रहा है । इस रेल यात्रा में सैकड़ो की संख्या में यात्रियों का परिचालन किया जाता था । पर जैसे जैसे कोयला खदानों का विस्तार होता गया रेल प्रबन्धन यात्री गाड़ियों के परिचालन में कटौती करती चली गई ।
पूर्व में यात्री गाड़ियों के परिचालन के लिए काफी संघर्ष भी किया गया । जिसके माध्यम से यात्री गाड़ियों की संख्या को बढ़ाया गया था । यात्री गाड़ी के बढ़ने से स्थानीय लोगों के साथ छोटे वाहन चालकों की जीविका भी चल रही थी । लेकिन अचानक ही यात्री गाड़ियों के परिचालन को बंद कर दिए जाने से छोटे छोटे वाहन चालकों के साथ होटल और फेरी कर फल बेचने वालों की जीविका पूरी तरह से बंद हो गई । उनके भूखे मरने की स्थिति निर्मित हो गई ।अब आलम ये है कि चार पांच यात्री गाड़ियों में से एक भी इस गेवरा स्टेशन से संचालित नही हो रही है ।
गेवरा रेलवे स्टेशन लोगो के लिए केवल इतिहास बनकर रह गई है । जबकि कोरबा के कुसमुंडा गेवरा दीपका खदानों से रेल प्रबंधक को करोङो की आमदनी हो रही है ।वही रेल प्रबन्धन को आम आदमी के सुविधा की कोई चिंता नही है और ना ही याहा के मंत्रियों नेताओ को रेल सुविधा को पुनः शुरू किए जाने के प्रति चिंता है । ऐसे में स्थानीय कुछ समितियां समय समय पर रेल यात्री गाड़ियों को शुरू कराये जाने के लिए संघर्ष करती आ रही है । कुसमुंडा की पहचान में गेवरा रेलवे स्टेशन का एक अलग ही योगदान रहा है । पर अब गेवरा रेलवे स्टेशन अपने अस्तित्व की बाट जोहे रेल प्रबंधन की ओर टकटकी लगाए देख रहा है ।
कुसमुंडा से कुलदीप साहू की रिपोर्ट
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